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महाराजाहरि सिंह |
जम्मू कश्मीर के अंतिम शासक:
महाराजा हरिसिंह डोगरा वंश के अंतिम शासक थे जो 23 सितम्बर 1925 में जम्मू कश्मीर के राज गद्दी पर आशिन हुए 1947 तक जम्मू कश्मीर पर शासन किया।
महाराजा हरी सिंह सुधार कार्य:
भारत का विभाजन और राजनीतिक एकीकरण:
ब्रिटिश भारत के क्षेत्र
देसी राज्य
फ्रांस और पुर्तगाल के औपनिवेशिक क्षेत्र
भारत की रियासतें, जो औपचारिक रूप से भारत या पाकिस्तान से संबद्ध नहीं थीं लेकिन उन राजावो को ब्रिट्रिश हुकूमत ने कोई देश की मान्यता भी नहीं दिया था, देसी राजावो के पास तीन विकल्प थे: स्वतंत्र रहें या दो देशों में से एक में शामिल हों। लेकिन ब्रिटेन स्पष्ट कर दिया कि ब्रिटेन स्वतंत्र रियासतों में किसी को भी अलग देश के रूप में मान्यता नहीं देगा। और भारत में अंग्रेजों के अंतिम वायसराय लुइस माउंटबेटन ने बंटवारे के दौरान सभी राज्यों और रियासतों को यह सलाह दी कि वे भौगोलिक स्थिति के अनुकूल भारत या पाकिस्तान साथ मिल जाएं। साथ ही उन्हें चेतावनी दी गई कि 15 अगस्त 1947 के बाद उन्हें ब्रिटेन से कोई मदद नहीं मिलेगी। अधिकांश राजाओं ने इस सलाह को मान लिया। लेकिन कुछ राजा इसके खिलाफ थे।
पाकिस्तानी सेना कबायलियों साथ थी। जब कबायलियों की फौज श्रीनगर की ओर बढ़ी तो हिंदुओं की हत्या और उनके साथ लूटपाट मचाने लगे, कबायलियों और कबायलियों के भेष में पाकिस्तानी सेना कुछ समय बारामूला में रुकर लूट पाट और कत्लेआम इतना ब्यस्त होगये की, श्रीनगर पहुंचने में कुछ वक्त लगा, सिर्फ पांच दिनों में पाकिस्तानी सैनिक श्रीनगर के काफी पास आ गए थे, श्रीनगर से सिर्फ 25 मील ही दुरी ही रह गई थी, तब महाराजा हरिसिंह को लगा की अब इनको रोक पाना हमारी फ़ौज के बस की बात नहीं तो, तत्काल राजा हरि सिंह 25 अक्टूबर को श्रीनगर छोड़ कर जम्मू चले गये गए ,महाराजा हरि सिंह ने भारत से मद्दद लेनेका का विचार किया।
रोचक तत्थय:
‘मैं सोने जा रहा हूं. कल सुबह अगर तुम्हें श्रीनगर में भारतीय सैनिक विमानों की आवाज़ सुनाई न दे, तो मुझे नींद में ही गोली मार देना.’ यह बात आज से ठीक 70 साल पहले, 26 अक्टूबर 1947 की रात जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरी सिंह ने अपने अंगरक्षक कप्तान दीवान सिंह से कही थी.
उधर कश्मीर में कबालिय फ़ौज लूट - पाट करते हुए श्रीनगर के तरफ बहुत तेजी से बढ़रही थी, और महाराजा हरि सिंह यह बात भलीभात समझ चूके थे की किसी भी वक्त कबालियों के भेष में पाकिस्तानी सैनिक श्रीनगर पर कब्ज़ा कर सकते है और इस कठिन परिस्थिति में केवल भारत ही मदद कर सकता है. तत्काल महाराजा हरि सिंह ने भारत से मदद पेशकस की, महाराजा हरि सिंह को भारत की तरफ से बताया गया की बिना इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन पर हस्ताक्षर किये भारतीय फ़ौज आप की मदत नहीं कर सकती, वीपी मेनन महाराजा हरि सिंह को कश्मीर के विलय के लिए इंस्टूमेंट ऑफ एक्सेशन पर हस्ताक्षर करने को कहा इसतरह 26 अक्टूबर 1947 को जम्मू-कश्मीर के आखिरी डोगरा सम्राट राजा हरि सिंह ने भारत के साथ विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिया।भारत एक दिन बाद यानि 27 अक्टूबर 1947 की अगली सुबह सूरज की पहली किरण के साथ ही भारतीय फ़ौज कश्मीर के लिए रवाना हो गई. और भारतीय विमान कश्मीर की हवाई पट्टी पर सेनिको को एयर लिफ्ट करने लगी, काबलियो को रोकने के लिए भारतीय फ़ौज ने तुरंत एक्शन लिया
27 अक्टूबर 1947 भारत-पाक_युद्ध
भारत में विलय के बाद जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरी सिंह ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक संबंध को लेकर बातचीत की. इसी के तहत राज्य के संवैधानिक प्रमुख के रूप में बरकरार रही, लेकिन शेख अब्दुल्ला का आपातकालीन प्रशासक के पद पर नियुक्त कर राज्य में सरकार चलाने की जिम्मेदारी उन्हें दे दी गई. इसके बाद 05 मार्च 1948 को राज्य का अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया.
27 मई 1949 को पास हुआ था आर्टिकल 370
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला को 17 मई 1949 को वल्लभभाई पटेल और एन. गोपालस्वामी आयंगर की सहमति से लिखे एक पत्र में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भी यही बात दोहराई थी. और विलय के वक्त जम्मू-कश्मीर सरकार ने जो ड्राफ्ट तैयार किया था. उस पर सहमति बनाने के लिए करीब पांच महीने तक बातचीत चलती रही. इस मीटिंग के नतीजे में बाद में संविधान के अंदर आर्टिकल 370 को जोड़ा गया. आर्टिकल 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार देता है. राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने राज्य में 35 ए लगाने की अनुमति दे दी. 1954 में जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान बना. उसके बाद धीरे-धीरे कश्मीर से राजवंश गायब होता चला गया. 27 मई 1949 को आर्टिकल 306 A पारित कर दिया गया. जिसे बाद में 370 के नाम से जाना गया.
अनुच्छेद 370 में जिस अनुच्छेद 1 का उल्लेख है. उसी के जरिए जम्मू कश्मीर को भारत के राज्यों की सूची में शामिल किया गया है.
अनुच्छेद 1 ने जम्मू-कश्मीर को भारत का राज्य घोसित करता है , जबकि अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिया।
👍
ReplyDeleteअति सुन्दर साइड हैं इसे आने वाले वंशज पढ़ाए
ReplyDeleteआप के इस साइड से बहुत ही महत्व पूर्ण जानकारी मिला
ReplyDeleteभारत का पहला साइड है इससे अच्छा कोई दूसरा साइड नहीं हो सकता
ReplyDeletethanks bhai
DeleteGood knowledge
Deletewell done
ReplyDeleteVeri nice
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