Thomas Alva Edison Inventions Biography (थॉमस ऐल्वा एडीसन)

थॉमस ऐल्वा एडिसन  महान आविष्कारक और वैज्ञानिक:(1847 -1931)

Thomas Alva Edison
Thomas Alva Edison

यह कहानी एक महान आविष्कारक की है  जिसने अपने आविष्कार से दुनिया को अचंभित करदिया था। हमारी सबसे बड़ी कमजोरी हार मानना है सफलता प्राप्त करने का सबसे साधारण तरीका है एकबार और कोशिश करना और कोशिश करते रहना, यह कहना था सदी के महान आविष्कारक थॉमस ऐल्वा एडिसन का 10000 बार से अधिक असफल होने पर एडिसन ने कहा था कि मै कभी नाकाम नहीं हुआ बल्कि मैने हजारों ऐसे रास्ते निकाले, जो मेरे काम नहीं आ सके।



महान माँ: महान आविष्कारक थॉमस ऐल्वा एडिसन की जन्म देने वाली माँ भी एक महान माँ थी जिनके सूझ बुझ और धैर्य के नतीजे  के परिणाम स्वरुप थॉमस ऐल्वा एडिसन ने 1093 आविष्कार का पेटेंट अपने नाम कराया व प्रयोगों के द्वारा दुनिया को बल्ब की रोशनी से रोशन कर दिया। 

थॉमस ऐल्वा एडिसन के बचपन की कहानी बहुत ही रोचक है: एडिसन ने पूछा की पंछी कैसे आसमान में उड़ते है किसी ने बोल दिया की कीड़े मकोड़े खाने से यह बात को जानने के लिए अपने पडोसी के बच्चे को कीड़ों को पीस कर पीला दिए जिससे उसकी तबियत ख़राब हो गई, तब एडिसन को माँ से डॉट खानी पड़ी। 

क्या आप जानते हो ? की कभी थॉमस ऐल्वा एडिसन को मंद बुद्धि मानकर स्कूल से निकाल दिया था, एक दिन एक टीचर ने एडिसन के हाँथ में एक पत्र देकर कहा की इसे लेजाकर अपने माँ को दे देना, जब उस दिन एडिसन स्कुल के समय से पहले अपने घर पहुंचे तो माँ ने देखा की एडिसन के हांथ में एक कागज का टुकड़ा है, माँ के पूछने से पहले ही थॉमस ऐल्वा एडिसन ने अपने माँ को वह पत्र देते हुए बोले की माँ आज टीचर ने यह देकर कहा की तुम घर जावो और इसे अपने माँ को दे देना, माँ ने सोचा की एडिसन कोई शरारत किये है स्कुल में जिसके लिए टीचर ने शिकायत पत्र भेजा है, लेकिन जैसे ही माँ ने पत्र को खोल कर देखा तो थॉमस ऐल्वा एडिसन के माँ के आँखों से अश्रुधारा बहने लगी, माँ को रोते देखकर एडिसन ने पूछा की माँ इसमें ऐसा क्या लिखा है जो आप रोरही हो, तो माँ ने कहा की बेटा यह तो खुशी के आँशु ही इसमें लिखा है की आप का बच्चा बहुत ही प्रतिभावान है (genius) जिसको पढ़ाने की योग्यता मेरे स्कुल में नहीं है, मेरे क्या शहर के किसी भी स्कुल में नहीं है, इसलिए आप अपने बच्चे को घर में ही स्वयं शिक्षा देने का कार्य करे, इसके बाद एडिसन की माँ ने एडिसन के अध्यन की जिम्मेदारी अपने कंधो पर लेकर घर में ही शिक्षा देना सुरु कर दिया और माँ के मार्ग दर्शन में में 6 वर्ष तक शिक्षा का कार्य घर में ही पूरा किया। उनकी माँ ने एक किताब दी थी जिसमे रसायन के प्रयोग के विषय में जानकारि थी  और एडिसन ने 10 साल की उम्र में घर के बेसमेंट में ही एक छोटे से लैब की ब्यवस्था किया था जिसकी सहायता से एडिसन का प्रयोग चल रहा था, की कुछ वर्षो बाद उनकी माँ की मृत्यु  (काल की गाल में शमां death) जाती है। 
एडिसन को माँ के मौत का बहुत बड़ा सदमा लगा क्यों की वो माँ के सबसे ज्यादा करीब और सानिध्य में जीवन बिताये थे। 
 
क्या आप जानते हो ? की एडिसन एक महान वैज्ञानिक और कई सारे उपलब्धि हासिल कर लिए थे पर उनको नहीं पता था की उस दिन स्कुल से लाये पत्र में क्या लिखा था, एक दिन एडिसन को माँ की बहुत याद आरही थी, तो घर में रखे माँ के कुछ पुराने सामानो को देख कर माँ के साथ बिताये क्षणों को सोचते हुए जब माँ की पुरानी संदूक को देखा तो जिज्ञासा वश की क्या रखी होगीं माँ इस संदूक में खोल कर देखा तो संदूक में रखे कुछ सामनो के साथ एक पत्र भी उनके हाथ लगा, एडिसन उत्सुकता बस उस पत्र को खोल कर पढ़ने लगे, तो उन्हें पता चला की यह वही खत है जिसे स्कुल से लाकर वो माँ को दिए थे, और पत्र पढ़कर एडिसन बहुत ही अचंभित हुए,  क्युकि उस पत्र में लिखा था की आप का बेटा एक मंदबुद्धि बालक है यह स्कुल में रहेगा तो इसके उलटे सीधे हरकतों से और भी बच्चे बिगड़ जायेगें इसलिए आप के बच्चे को स्कुल से निकाला जाता है। और एडिसन फ़फ़क फफक कर रोने लगे क्यों की माँ ने उन्हें एक परतिभाशाली (genius) बताया था, लेकिन एक महान माँ ने मंदबुद्धि (कमजोर) बालक को मशहूर वैज्ञानिक थॉमस एल्‍वा एड‍िसन बना दिया।  (ऐसी माँ को मेरा सत सत नमन) 

जन्म स्थान पिता माता का नाम: दुनिया के इस महान अविष्कारक थॉमस ऐल्वा एडिसन का जन्म 11 फ़रवरी 1847  में ओहायो राज्य के मिलैन नगर में हुआ था। थॉमस ऐल्वा के पिता का नाम सामुएल ओगडेन एडिसन और इनकी माता का नाम नैन्सी मैथ्यू इलियट था। एडिसन अपने माता पिता के 7 वें  एवं आखिरी संतान थे। 

विवाह: थॉमस ऐल्वा एडिसन 24 साल की उम्र में 1871 मैरी स्टिलवेल से शादी करलिए, इनसे एडिसन को तीन बच्चे थे विलियम, मैरियन और थॉमस जूनियर, विवाह के करीब १३ साल बाद उनकी पत्नी की बीमारी से मृत्यु होने के बाद 1885 में मीना मीलर के साथ दूसरा विवाह कर लिया दूसरी पत्नी से भी एडिसन को तीन बच्चे हुए, थिओडोर, मेडेलीन और चार्ल्स।

थॉमस ऐल्वा एडिसन को किसी बीमारी से उनकी सुनाने की छमता कम हो गई थी, फिर भी उनके मार्ग की रुकावट नहीं बन सका बहरापन उन्होंने खुद कहा था की कई सालो से चिडियो की मधुर गीत नहीं सुन पाया हूँ। 

कठिनाइयों से भरा जीवन: एडिसन का प्राम्भिक जीवन कठिनायों से भरा था घर की मालिय हालत ठीक नहीं थी घर खर्च चलने के लिए एडिसन घर - घर जाकर अख़बार बाटने का कार्य के साथ - साथ रेलवे स्टेशन पर टॉफी और  पेपर बेचने का भी कार्य करते थे, एक घटना से जिसमे स्टेशन मस्टर के 3 साल के बच्चे को ट्रेन के निचे आने से बचा लिया वो स्टेशन मास्टर के बच्चा था, जिससे खुश हो कर स्टेशन मास्टर ने एडिसन को टेलीग्राम आपरेटर की नौकर पर रख लिया।

 क्या आप जानते हो ? एडिसन को एक बल्ब की कीमत क्या पड़ी थी 40 हजार डॉलर, 21 अक्टूबर 1879 में 40 घंटे से अधिक समय तक बिजली से जलने वाले बल्ब का आविष्कार कर के दुनिया को रोशन किया,  27 जनवरी 1880 बल्ब का पेटेंट कराया। एडिसन ने 1869 अपने सर्वप्रथम आविष्कार विद्युत मतदानगणक को पेटेंट कराया जिसका प्रयोग आज भी हो रहा उस टाइम उनके इस आविष्कार का खरीददार नहीं मिला था।

महान आविष्कार:

1870 से 1876 के बीच एडिसन ने अनेक आश्चर्य चकित आविष्कार किए। अलेक्जेंडर के बनाये टेलीफोन बेल यंत्र का सुधार किया एवं  एक ही तार पर चार, छह, संदेश अलग अलग भेजने की प्रणाली की खोज, उन्होंने 1875 ई. में "सायंटिफ़िक अमेरिकन" में "ईथरीय बल" पर खोजपूर्ण लेख प्रकाशित किया; 1878 ई. में फोनोग्राफ मशीन का  पेटेंट कराया। 

1891 ई. में चलचित्र कैमरा  का अविष्कार एवं पेटेंट कराया एवं इन चित्रों को प्रदर्शित करने के लिए किनैटोस्कोप का आविष्कार किया। 

 1883 ई. में "एडिसन प्रभाव" की खोज की, जो कालांतर में वर्तमान रेडियो वाल्व का जन्मदाता सिद्ध हुआ।  एडिसन ने भूमि के नीचे केबल डालने के लिए विद्युत के तार को रबड़ या कपड़े में लपेटने की प्रणाली का आविष्कार किया, डायनेमो और मोटर में सुधार किए; यात्रियों और माल ढोने के लिए विद्युत रेलगाड़ी आविष्कार तथा चलते जहाज से संदेश भेजने और प्राप्त करने की विधि का आविष्कार किया। एडिसन 1901 में  क्षार संचायक बैटरी को पेटेंट कराया  की; लौह अयस्क को चुंबकीय विधि से गहन करने का प्रयोग किया। 


जानेमाने ब्यापारी: थामस ऐल्वा  एडिसन एक वैज्ञानिक, या आविस्कारक ही नहीं एक  जाने मने ब्यापारी के रूप में भी याद किया जाता है। 

चिरनिद्रा में विलीन हो गए: संसार को उजाला देने वाला 18 अक्टूबर 1931 को इस दुनिया को अलविदा कह गया रह गई तो सिर्फ उस महान आत्मा के आश्चर्यचकित आविष्कार, ऐसे महान पुरुष मिलना युगो युगो में भी दुर्लभ होते है 

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