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आल्हा |
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ऊदल |
लेकिन माहिल ने किसी तरह पृथ्वी को तैयार कर के महोबा पर आक्रमण के लिए तैयार कर लिया, एक विशाल संघटित सेना तैयार करके महोबा को घेर लिया गया, मलखान ने भी सेना संघटित कर पृथ्वी का सामना किया भीसड़ संग्राम हुआ लेकिन एक विशाल खाई खोदी गई थी जो घास से ढकी थी और उसके अंदर भाले लगे थे मलखान लड़ते लड़ते उधर ही चला गया और घोडा समेत उस खाई में गिर गया और मलखान वीर गति को प्राप्त हुआ।
ऊदल का पृथ्वी से आमना सामना: पृथ्वी राज मलखान की मौत के बाद सेना लेकर महोबा के लिए कूच किया तभी ऊदल को खबर लगी और अपने मित्र लाखन साथ जो की जयचंद्र का बेटा था , उसको लेकर पृथ्वी का रास्त रोक लेता है एक महा संग्राम के बिच पृथवी को खदेड़ देता है, जब यह खबर राजा परमार को लगी की ऊदलने पृथ्वी को खदेड़ा तो फिर से दोनों भाइयों को मना कर महोबा वापिस लाया गया।
घर-घर महोबा पृथ्वी घेरा, फाटक बंद दियो करवाय
तुम बिन विपदा हम पर गिर गई, बेटा हमको होऊ सहाय
नगर महोबा जब लुट जैहें, तब का खाक बटोरबा आय
याही दिन को हम पालो है, को अइसन में अइहे काम
सोतुम छाए रहे कनवज में, हम पर परी आपदा आए
देखत चिठ्ठी के आवो तुम,राखा धर्म चंदेले क्यार।
राजा परमार के पुत्र ब्रह्मकुमार का पृथ्वी राज की कन्या बेला मर मोहित होना बिना पिता के अनुमति विवाह
ब्रह्मा कुमार की मृत्यु, बेलवा का सती होना: लेकिन धूर्त कपटी माहिल ने राजा परमाल से बेला के गौने की बात चलाई, लेकिन समस्या थी कि बिना युद्ध के तो गौना होने से रहा, दरबार लगा, राजा ने पान का एक बीड़ा रखवा दिया की बेला का गौना करके ला सकता है, वह पान का बीड़ा मुख में दबा ले,सब एक दूसरे का मुंह देखने लगे, ऊदल ने आगे बढ़कर बीड़ा उठा लिया। लेकिन तुरंत माहिल ने राजा से कहा की ऊदल के जाने से तो युद्ध निश्चित है, किन्तु ब्रह्मा के साथ मैं जाऊंगा तो महाराज प्रथ्वीराज राजी से ही बेला का गौना कर देंगे, ब्रह्मा ने ऊदल से मना कर दिया और कहा, तुम रहने दो मैं ही जाउंगा, बीड़ा उठा चुके ऊदल को यह बात अपमान जनक लगी, और दोनों भाइयों ने साथ न जाने का निर्णय लिया।
माहिल का गद्दारी: माहिल ने ब्रह्मा को समझाया कि महाराज प्रथ्वीराज तुम्हारी वीरता की परीक्षा लेना चाहते हैं, अतः वीरता पूर्वक युद्ध करना होगा | ब्रह्मा ने वीरता पूर्वक युद्ध करते हुए दिल्ली की सेना के छक्के छुड़ा दिए | माहिल ने कपट करने का सलाह पृथ्वी राज को दिया और कहा हे पृथ्वीराज डोली मँगवावो और उसमे अपने सेनापति बैठा दो इधर मई ब्रह्मा को बता देता हु की आप बेला को भेज रहे हो गोना करा कर, उधर डोली देख प्रसन्न होकर जैसे ही ब्रह्मा डोली के पास पहुंचे स्त्री वेश धारी चामुंडराय ने एक प्रहार से ब्रम्हा की सर को धड़ से अलग कर दिया, यह समाचार पाकर बेला अत्यंत दुखी हुई और उसने ऊदल को सन्देश भेजा, कि आप आकर मेरी मदद करो और मुझे मेरे पति के पास पहुँचाओ |ऊदल संदेश पाकर युद्ध करता है बेला को उसके मृत पति के पास लाता है और बेला का सती होना,
जब बेला को लेकर उदल चला तो पृथ्वी उसका पीछा करते हुए वह पंहुचा जहा बेला सती हो कर पति के साथ जल रही थी।
ऊदल का पृथ्वीराज का युद्ध: गुस्से से पृथ्वी का ऊदल को ललकारना और एक साथ सैकड़ो योद्धा का ऊदल से युद्ध लेकिन कहा जाता है की हजारों सेनिको को मारने के बाद ऊदल भी इस युद्ध में मारा गया।
बैरागढ़ जहाँ माँ शारदा प्रकट हो आल्हा को दर्शन दिया और माँ आदेशानुसार आल्हा ने अपनी साग (हथियार) बैरागढ़ शारदा मंदिर पर चढ़ाकर नोक टेढ़ी कर दी थी जिसे आज तक कोई सीधा नहीं कर पाया है। लोककथावों के अनुसार ३० फिट की साग है और उतनी ही निचे धसी है।
मैहर में और बैरागढ़: दोनों शक्ति पीठो में माँ शारदा की पहली पूजा आल्हा के ही करने का प्रमाण मिलता है, पुजारियों के अनुसार सुबह मंदिर के कपाट खुलने पर नारियल, फूल, फल चढ़े हुए मिलते है,
माता शारदा के प्रथम दशर्न आल्हा द्वारा ही करने के प्रमाण पुजारी बतलाते है।
बैरागढ़ में माँ का तीन रूपो में विराजमान है, यहाँ माँ शारद के भक्तो के अनुसार माँ के तीन रूप का दर्शन होता है, सुबह के पहर कन्या रूप में, दोपहर के समय युवती रूप में, शाम को माँ के रूम में- इस मंदिर को माँ के शक्ति पीठ भी कहा जाता है, यहाँ बने कुंड में स्नान करने से चर्म रोगो से छुटकारा मिलता है ऐसा यहाँ के पुजारी का कहना है।
(यह रचना कवियों और आल्हा खण्ड के अनुसार लिखी गई है।)
नाइस 👍☝️
ReplyDeleteNice well done
ReplyDelete👍
ReplyDeleteअति सुन्दर जानकारी मिला
ReplyDeleteसुपर से भी ऊपर
ReplyDeleteheroic warrior
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteपोस्ट पढ़कर अत्यंत रोचक जानकारी प्राप्त हुई
ReplyDeleteIntelligent
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