Devotional Details of Chardham Yatra चारधाम यात्रा का सम्पूर्ण विवरण

चारधाम यात्रा का विवरण उत्तराखण्ड, उड़ीसा, रामेश्वरम, गुजरात, गंगा सागर

    शक्ति पीठ      बारह ज्योतिर्लिंग     चारमठ      चारधाम      सातपुरी      गंगा सागर 

puri mandir
Jagarnath puri

पृष्ठभूमि: भारत विश्व की सबसे प्राचीनतम स्थापित नागरिक प्रतिष्ठानों का समावेश होने के नाते एक ऐसा स्थान है जो समृद्ध इतिहास, प्राचीन सभ्यतावो और अंतहीन विश्वासों, धार्मिक रीति-रिवाजों और धर्मों को समावेश करने वाली किस्से और कथावों  के लिए जाना जाता है। भारत देश का समृद्ध सामाजिक और सांस्कृतिक सभ्यतावों का गौरवशाली इतिहासों रहा है। भारत एक ऐसी भूमि है जहां विभिन्न प्रकार के मतो धर्मो में विश्वासों करने वाले व्यक्ति सहमति और बंधुत्व में रहते हैं। विभिन्न धर्मों के विपरीत, हिंदू धर्म का कोई प्रवर्तक या (संस्थापक) नहीं है, बल्कि धर्मों का एक संयोजन है। विभिन्न पुरातन धर्म ग्रंथो रचनाएँ और शोधकर्ता ने हिन्दू धर्म को जीवन जीने की एक प्रथागत पद्धति के रूप में चित्रित करते हैं, हिंदू धर्म को दुनिया का सबसे अनुभवी एवं प्राचीन धर्म माना जाता है। एक ऐसा धर्म जिसकी शुरुआत और समाप्ति का वर्णन नहीं किया जा सकता है। 


भारतीय संस्कति में अपने घरो को मंदिर और गृहस्ती जीवन को ही सन्यास आश्रम कहा जाता है, यहाँ वसुधैव कुटुम्बकम की परम्परा का निर्वाह किया जाता है। 

भारतीय राजाओं द्वारा समय समय पर विशाल और भव्य मंदिरो का निर्माण कराए गए जो देश के धार्मिक सांस्कृतिक और आद्यात्म के महत्त्व पूर्ण केंद्र रहे।  इन मंदिरो की कला कृति सुंदरता और ऊँचे ऊँचे शिखर उस समय के वास्तु कलात्मक कला की झलक मिलते है, दक्षिण से लेकर उत्तर तक पूरब से लेकर पश्चिम तक फैले है। इन मंदिरो की अलग अलग मान्यता है। 
आज हम आप को धर्मो से सम्बंदित मंदिर मठो और पीठों के महत्त्व का वर्णन करेंगे 

मुख्य पीठो का वर्णन और सात पूरी : शक्ति पीठ,  ज्योतिर्लिंग,  चारधाम धर्म पीठ, सात पूरी 

माता शक्ति पीठ वर्णन: देवी भागवत पुराण में 108 शक्तिपीठों का , शिवचरित्र में 51शक्तिपीठों का , तंत्र चूड़ामणि और दुर्गा सप्तशती में 52 शक्तिपीठों का, कालिका पुराण में 26 शक्तिपीठों का , उल्लेख मिलता है लेकिन आमतौर पर 51 शक्तिपीठ माने जाते हैं।

जाग्रित शक्ति पीठ: 1-हिंगलाज भवानी, 2-काली माता कोलकाता, 3-हरसिद्धि माता उज्जैन, 4- शारदा माँ मैहर 5-विंध्यवासिनी शक्तिपीठ, 6-चामुण्डा देवी हिमाचल प्रदेश, 7-कामाख्या देवी असम, 8-ज्वालामुखी हिमाचल प्रदेश, 9-छिन्नमस्तिका पीठ रजरप्पा

भारत में 42 शक्तिपीठ, पाकिस्तान में 1 शक्तिपीठ, बांग्लादेश में 4 शक्तिपीठ, नेपाल में 2 शक्तिपीठ, तिब्बत में 1शक्तिपीठ, श्रीलंका में 1शक्तिपीठ

1.हिंगलाज, हिंगुला या हिंगलाज शक्तिपीठ जो कराची, 2.सुगंधा- सुनंदा, बांग्लादेश, 3 .शर्कररे (करवीर), पाकिस्तान में कराची, 4.कश्मीर- महामाया, भारत के कश्मीर, 5.ज्वालामुखी- सिद्धिदा (अंबिका), भारत के हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा, 6.जालंधर- त्रिपुरमालिनी, पंजाब के जालंधर, 7.वैद्यनाथ- जयदुर्गा, झारखंड के देवघर, 8.नेपाल- महामाया, नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर के निकट स्‍थित है गुजरेश्वरी मंदिर, 9.मानस- दाक्षायणी, तिब्बत स्थित कैलाश मानसरोवर के मानसा के निकट एक पाषाण शिला, 10.विरजा- विरजाक्षेत्र, भारतीय प्रदेश उड़ीसा, 11.गंडकी- गंडकी, नेपाल में गंडकी नदी के तट, 12.बहुला- बहुला (चंडिका), भारतीय प्रदेश पश्चिम बंगाल से वर्धमान जिला, 13.उज्जयिनी- मांगल्य चंडिका, भारतीय प्रदेश पश्चिम बंगाल, 14.त्रिपुरा- त्रिपुर सुंदरी, भारतीय राज्य त्रिपुरा के उदरपुर के निकट, 15.चट्टल - भवानी, बांग्लादेश में चिट्टागौंग (चटगाँव), 16.त्रिस्रोता- भ्रामरी, भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल के जलपाइगुड़ी, 17.कामगिरि- कामाख्‍या, भारतीय राज्य असम के गुवाहाटी जिले के कामगिरि क्षेत्र में स्‍थित नीलांचल पर्वत के कामाख्या स्थान पर, 18.प्रयाग- ललिता, प्रयागराज उत्तर प्रदेश, 19.जयंती- जयंती, बांग्लादेश के सिल्हैट जिले, 20.युगाद्या- भूतधात्री, पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले, 21 . विशालाक्षी - वाराणसी, 22 .कालीपीठ- कालिका, कोलकाता के कालीघाट, 23.किरीट- विमला (भुवनेशी), पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद, 24.सावत्री - कुरुक्षेत्र, 25. कन्याश्रम, 26. गायत्री - अजमेर, 27. श्रीशैल - बांग्लादेश, 28. कॉलमाधव  मध्यप्रदेश, 29. मैहर शारदा माँ, 30. देवगर्भा - पश्चिम बंगाल, 31. वृन्दावन - उमा भैरव, 32 शुचि, शुचितीर्थम शिव मंदिर, नारायणी संहार, 33 पंचसागर, अज्ञात वाराही महारुद्र, 34 करतोयतत, भवानीपुर गांव, 35 श्री पर्वत, श्री सुंदरी सुंदरानंद, 36 विभाष, कपालिनी (भीमरूप),  37 प्रभास, चंद्रभागा वक्रतुंड, 38 भैरवपर्वत, भैरव पर्वत, 30 जनस्थान, गोदावरी नदी, 40 सर्वशैल/गोदावरीतीर, कोटिलिंगेश्वर मंदिर, दंडपाणि, 41 बिरात, निकट भरतपुर, राजस्थान, 42 रत्नावली, रत्नाकर नदी तीरे, 43 मिथिला, जनकपुर, 44 नलहाटी, नलहाटि स्टेशन, 45 कर्नाट, अज्ञात, 46 वक्रेश्वर, पापहर नदी, 47 लंका,स्थान, 48 यशोर, ईश्वरीपुर, खुलना जिला, बांग्लादेश, 49अट्टहास, पश्चिम बंगाला, 50नंदीपुर, नंदिनी नंदिकेश्वर, 51. मणिकर्णिका 

बारह ज्योतिर्लिंग जिसे द्वादश ज्योतिर्लिंग कहते है: भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग विशेष महत्त्व है , पुराणों के अनुसार इन बारह ज्योतिर्लिंग जहा है यहाँ स्वयं भगवान शिव प्रकट हुए थे देश के अलग-अलग भागों में स्थित हैं। इन्हें द्वादश ज्योतिर्लिंग की विशेष महिमा इन ज्योति लिंगो के दर्शन मात्र से मुक्ति मिलजाती है  

1.श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग: गुजरात प्रभास पाटन, सौराष्ट्र श्री सोमनाथ सौराष्ट्र, 

2.श्री  मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग: आंध्र प्रदेश कुर्नूल कृष्णा नदी के तटपर श्रीशैल पर्वत, 

3. श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग: महाकाल, उज्जैन क्षिप्रा नदी के तटपर, 

4. श्री ॐकारेश्वर ज्योतिर्लिंग: मध्य प्रदेश श्रीॐकारेश्वर लिंग को स्वयम्भू समझा जाता है,

5. श्री केदारनाथ ज्योतिर्लिंग: उत्तराखंड केदारनाथ,

6. श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग: महाराष्ट्र में पुणे से करीब 100 किलोमीटर,

7. श्री काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग: उत्तर प्रदेश वाराणसी,

8. श्री त्र्यम्बकेश्वर महादेव : नासिक पवित्र गोदावरी नदी, 

9. श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग: श्रीवैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को ही प्रमाणिक मान्यता है,

10. श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग: दारुकावन, द्वारका श्रीनागेश्वर ज्योतिर्लिंग बड़ौदा,

11. श्री रामेश्वर ज्योतिर्लिंग: को श्रीरामेश्वर या श्रीरामलिंगेश्वर के नाम से जाना जाता है,

12. श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग: एलोरा, औरंगाबाद,

धर्म पीठ: आदिशंकराचार्य के द्वारा चार मठों की स्थापना किया गया था इनका उद्देश्य हिंदू धर्म की एक जुट रखना, इन मठों को भारत के चारो दिशाओं में स्थापित किया गया पूर्व में जगन्नाथ पुरी उड़ीसा, पश्चिम में द्वारका गुजरात, उत्तर में बद्रीनाथ उत्तराखण्ड, दक्षिण में रामेश्वर,

आदिशंकराचार्य जी ने इन मठों की स्थापना के साथ-साथ इन मठों के मठाधीशों की भी नियुक्ति की, जो शंकराचार्य कहलाए जाते हैं।

चार मठों के नाम क्रमसः- 
वेदान्त ज्ञानमठ- वेदान्त ज्ञानमठ भारत के दक्षिण में रामेश्वरम में स्थित है। 

गोवर्धन मठ- गोवर्धन मठ भारत के पूर्वी भाग में उड़ीसा राज्य के जगन्नाथ पुरी में स्थित है।

शारदा मठ- शारदा - (कालिका) मठ गुजरात में द्वारकाधाम में स्थित है।

ज्योतिर्मठ- उत्तरांचल के बद्रीनाथ में स्थित है ज्योतिर्मठ।

चार धाम यात्रा:- हिन्दुधर्म में चारधाम यात्रा का विशेष महत्त्व है, प्रत्येक हिन्दू अपने जीवन कॉल में  एक बार इन चारधामों की यात्रा करना चाहता है, इन यात्राओं से मानव अपने मुक्ति की कामना करता, 

चारधामों की यात्रा केवल उत्तर काशी ही नहीं है, उत्तर काशी में जो चार धाम की यात्रा की जाती है, जिसमे बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री आता है यह चार धाम नहीं यह एक धाम की यात्रा माना जाता है, जिसे छोटी चार धाम माना जाता है। पुराणों में जिस चारो तीर्थ का जो वर्णन मिलता उसमे, 1 बद्रीनाथ-केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, 2 जगन्नाथ पुरी, 3 द्वारकाधाम और 4 रामेश्वरम आता है, इन चारो धामों को मिला कर चार धाम यात्रा पूरी होती है। इन चारधामों की यात्रा  करने वाला चारधाम यात्रा का पुण्य कमाता है। 

बद्रीनाथ धाम : बद्रीनाथ मंदिर हिमालय के नर और नारायण पर्वतों के मध्‍य स्थित है, हिन्दुओं की आस्था का बहुत ही महत्त्व पूर्ण स्थान है अलकनंदा नदी के किनारे बसा भगवान विष्णु का मंदिर है, बद्रीनाथ मंदिर को आदिकाल से स्थापित और सतयुग का पावन धाम माना जाता है। दादी माँ बचपन में बताती थी एक प्रचलित कहावत कि 'जो जाए बदरी, वो ना आए ओदरी'  यहाँ दर्शन करने वाला जन्म मृत्यु के बंधन से छुटकारा पाजाता है, बद्रीनाथ के दर्शन से पूर्व केदारनाथ के दर्शन करने का महात्म्य माना जाता है।

द्वारका: द्वारका नगरी का निर्माण भगवान श्री कृष्ण ने किया था, असली द्वारका समुद्र में शमां गई है। द्वारकापुरी गुजरात राज्य के पश्चिमी में समुद्र के किनारे स्थित चार धामों में से एक और सात पुरी भी है,

जगन्नाथ पुरी: जगन्नाथ पुरी में भगवान श्री कृष्ण अपने बड़े भ्राता बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराज मान है यह भारत के ओडिशा राज्य में समुद्र के तट पर बसे चार धामों में से एक जगन्नाथपुरी यह भगवान की रथ यात्रा निकली जाती है जिसका दृश्य बहुत ही मनमोहक होता है,

रामेश्वरम: यहाँ भगवान श्री राम ने त्रेता युग में रामेश्वरम शिवलिंग की स्थापना किए थे जो तमिलनाडु के जिला रामनाथपुरम में समुद्र के किनारे स्थित है,

सात पूरी: 1 अयोध्या पुरी, 2 काशीपुरी, 3 मथुरा पुरी, 4 उज्जैन पुरी, 5 द्वारकापुरी, 6 हरद्वार, काँचीपुरम यह भारत के सात धार्मिक और पवित्र सहर है जिसे पुरी कहा जाता है 

गंगासागर: यह हिन्दुओं का अंतिम तीर्थ है कहा जाता है की सारे तीर्थ बार बार गंगा सागर एक बार गंगा सागर करने के बाद मन जाता है की ब्यक्ति सारे पापों  से नाश पाप हो कर सीधे स्वर्ग जाता है। पश्चिम बंगाल म कोलकाता के निकट है यहाँ गंगा और समुद्र का संगम होता है

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